राणा उदय सिंह द्वितीय के बारे में
राणा उदय सिंह 1537 में मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठे
कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार राज्याभिषेक के समय उदय सिंह की आयु 15 वर्ष थी इनका राज्याभिषेक कुंभलगढ़ में हुआ था
1540 में मावली (उदयपुर) के युद्ध में राणा उदय सिंह ने बनवीर को पराजित करके चित्तौड़ पर अधिकार किया
दिल्ली के शासक शेरशाह सूरी से डरकर राणा उदय सिंह ने चित्तौड़ किले की चाबियां शेरशाह सूरी के पास भिजवाई थी इस कारण शेरशाह सूरी का अधिकार चित्तौड़गढ़ पर हो गया और इसने यहां का प्रतिनिधि कबास खा को बनाया
राणा उदय सिंह ने 1559 में अपने पुत्र अमर सिंह के जन्म पर उदयपुर नगर की स्थापना की तथा वहां उदयसागर झील का निर्माण करवाया
उदयसागर झील का निर्माण 1559 में प्रारंभ किया था जो 1565 में बन कर पूर्ण हुई थी
अकबर ने उदय सिंह के शासनकाल में 13 अक्टूबर 1567 में चित्तौड़ पर आक्रमण किया परंतु उदय सिंह अकबर के आक्रमण के पूर्व ही चित्तौड़ की रक्षा का भार अपने सेनापति जयमल मेड़तिया और पत्ता सिसोदिया को सौंप कर गिरवा की पहाड़ियों में चला गया
उदय सिंह को ढूंढने के लिए अकबर ने हुसैन कुली खा को गिरवा की पहाड़ियों में भेजा था
जयमल मेड़तिया अकबर की संग्राम बंदूक से गायब हो चुका था जिसके कारण जयमल के पैर में चोट लगने से वह घायल हो गया था दूसरे दिन जब युद्ध प्रारंभ हुआ तब वह अपने संबंधी कल्ला राठौड़ के कंधे पर बैठकर लड़ा था इस कारण कला राठौर को इतिहास में चार हाथो वाले लोक देवता कहा जाता है

जयमल मेड़तिया कल्ला राठौड़ के कंधे पर बैठकर युद्ध करते हुए
चित्तौड़ का तीसरा साका (1568)
चित्तौड़ के तीसरे साके में अकबर से युद्ध करते हुए जयमल मेड़तिया पत्ता सिसोदिया और कला राठौर वीरगति को प्राप्त हुए हैं इसी समय पत्ता की पत्नी फुल कवर के नेतृत्व में महिलाओं ने जोहर किया यह घटना चित्तौड़ का तीसरा साका कहलाती है और अंतिम साका कहलाती है
अकबर ने चित्तौड़ को जीतने के लिए साबात (बारुन्दी सुरंग)का प्रयोग किया था
अकबर ने चित्तौड़़ को जीतने के पश्चात यहां 30,000 जनता को कत्लेआम करवा दिया था जो इतिहास में अकबर का एकमात्र काला धब्बा माना जाता है
जयमल मेड़तिया और पत्ता सिसोदिया की वीरता से प्रभावित होकर अकबर ने आगरा के किले के बाहर इन दोनों की गजारुढ प्रतिमाएं लगाई थी जो औरंगजेब के शासन काल तक लगी हुई थी
28 फरवरी 1568 को होली के दिन मेवाड़ महाराणा उदय सिंह की गोगुंदा में मृत्यु हो गई और इनकी छतरी यही गोगुंदा मैं बनी हुई है
जयमल मेड़तिया की 6 खंभों की छतरीहै ओर पत्ता सिसोदिया की 4 खंभों की छतरी चित्तौड़गढ़ में बनी हुई है
Note_ बीकानेर महाराजा रायसिंह ने भी जयमल और पत्ता की गजारुढ प्रतिमाएं बीकानेर के किला जूनागढ़ में लगवाई जो वर्तमान में भी स्थित है
मेवाड़ के सिसोदिया वंश का राजवंश
1• राणा हमीर 1326 _ 1364
2• राणा क्षेम सिंह 1364 _ 1382
3• राणा लाखा 1382 _ 1421
4• राणा मोकल 1421_ 1433
5• राणा कुंभा 1433 _ 1468
6• राणा उदा 1468 _1473
7• राणा राय सिंह 1473 _ 1509
8• राणा सांगा /संग्राम सिंह 1509 _ 1528
9• राणा रतन सिंह 1528 _ 1531
10• राणा विक्रमादित्य 1531 _ 1536
11•बनवीर 1536 _1537
12•राणा उदय सिंह द्वितीय 1537 _ 1572
13•महाराणा प्रताप 1572 _ 1597
14•राणा अमर सिंह 1597 _ 1620
15•राणा करण सिंह 1620 _ 1628
16•जगत सिंह 1628 _1652
17• राणा राज सिंह 1652 _ 1682
18•राणा राज सिंह 1682 _ 1696
19•राणा अमर सिंह द्वितीय 1696 _1710
20• राणा संग्राम सिंह दितीय 1710 _ 1734
21• राणा जगत सिंह द्वितीय 1734 _1751
22•राणा प्रताप सिंह दितीय 1751 _1754
23• राणा राज सिंह दितीय 1754 _ 1762
24•राणा हरि सिंह वित्तीय 1762 _ 1772
25•राणा हमीर सिंह वित्तीय 1772 _ 1778
26• राणा भीम सिंह 1778 _ 1828
27•राणा जवान सिंह 1828 _ 1838
28•राणा सरदार सिंह 1838 _ 1842
29• राणा स्वरूप सिंह 1842 _ 1861
30• राणा शंभू सिंह 1861 _ 1874
31•राणा सज्जन सिंह 1874 _ 1884
32• फतेह सिंह 1884 _ 1930
33• भूपाल सिंह 1930 1947
Note• राणा भूपाल सिंह इस वंश का अंतिम शासक थे
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