महाराणा राज सिंह / maharana raj singh
महाराणा राज सिंह 1652 से 1680 तक मेवाड़ के शासक रहे महाराणा
राज सिंह मुगल बादशाह शाहजहां और औरंगजेब की सेवा में रहें
महाराणा राज सिंह द्वारा चित्तौड़गढ़ दुर्ग के निर्माण कार्य को औरंगजेब के सेनापति सादुल्ला खा का द्वारा तुड़वाया गया था
औरंगजेब ने राज सिंह को 6000 मनसब दिया था
1679 में औरंगजेब द्वारा लगाए गए जजिया कर को राजसिंह ने देने से इंकार कर दिया थाा
किशनगढ़ की राजकुमारी चारुमति का विवाह औरंगजेब के साथ निश्चित हुआ था परंतु राज सिंह ने इसका विरोध करते हुए स्वयं चारुमती के साथ विवाह किया
राज सिंह की पत्नी ने उदयपुर के निकट जयाबावड़ी या त्रिभूजा बावड़ी का निर्माण
राणा राज सिंह के सेनापति रावत चुंडावत ने युद्ध में जाते समय सलह कवर से निशानी मांगने पर सलह कवर ने सिर काट कर दे दिया था सलह कवर बूंदी के शासक संग्राम सिंह की पुत्री थी
मेघराज मुकुट ने सलह कवर के बारे में कहा है कि
चुंडावत मांगे सैलानी सिर काट दे पियो क्षत्राणी
राज सिंह ने गोमती नदी पर बांध बनाकर 1662 से1667 के मध्य राजसमंद जिले में राजसमंद झील का अकाल राहत कार्यो के लिए निर्माण करवाया था
राजसमंद झील के किनारे विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति लगी हुई है जिसकी रचना रणछोड़ भट्ट या रणछोड़ तेलंगा ने संस्कृत भाषा में की थी राजसिंह प्रशस्ति भारत का सबसे बड़ा शिलालेख माना जाता है
यह प्रशस्ति 25 काले संगमरमर के पत्थर पर लिखी हुई है
राजसमंद झील के उत्तरी भाग को नौचौकी के नाम से जाना जाता है
राज सिंह ने जनता के नैतिक व सैनिक शिक्षा दिलाने के लिए जो प्रयास किया था इस कारण उसने विजयकटकातू (योद्धा )की उपाधि धारण की थी
औरंगजेब द्वारा मथुरा क्षेत्र में कुरवाई गई मूर्तियों को राज सिंह के प्रतिनिधि दामोदर दास महाराज के द्वारा रथ भर कर मेवाड़ में लाई गई थी जिसमें द्वारकाधीश जी व श्रीनाथजी की मूर्ति प्रमुख है तथा राज सिंह के समय औरंगजेब ने अनेक कृष्ण मंदिर तोड़े तथा राज सिंह ने वृंदावन से पांच मूर्ति मंगवाई थी
1 श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा राजसमंद
यह मंदिर वल्लभ संप्रदाय की प्रमुख पीठ है
इस मूर्ति को वल्लभाचार्य जी के वंशज दामोदर जी वह गोविंद जी द्वारा मेवाड़ लाई गई थी
2 द्वारकाधीश जी मंदिर कांकरोली राजसमंद
3 जगत अंबिका मंदिर उदयपुर _ इसे मेवाड़ का खजुराहो कहते हैं
राज सिंह के समय में घीन्घा या गणगौर उत्सव की शुरुआत उदयपुर में हुई थी
Note _2007 में राजस्थान सरकार द्वारा स्थापित प्रथम महिला बटालियन का नाम हाड़ी रानी के नाम पर रखा गया जिसका मुख्यालय अजमेर है
मेवाड़ महाराणा राज सिंह ने जोधपुर के अजित सिंह को शासक बनाने के लिए वीर दुर्गादास राठौर की मदद की थी
2 अप्रैल 1679 को औरंगजेब ने गेर हिंदुओं पर जजीया कर लगाया था जिसका राज सिंह ने विरोध किया था
मेवाड़ के सिसोदिया वंश का राजवंश
1• राणा हमीर 1326 _ 1364
2• राणा क्षेम सिंह 1364 _ 1382
3• राणा लाखा 1382 _ 1421
4• राणा मोकल 1421_ 1433
5• राणा कुंभा 1433 _ 1468
6• राणा उदा 1468 _1473
7• राणा राय सिंह 1473 _ 1509
8• राणा सांगा /संग्राम सिंह 1509 _ 1528
9• राणा रतन सिंह 1528 _ 1531
10• राणा विक्रमादित्य 1531 _ 1536
11•बनवीर 1536 _1537
12•राणा उदय सिंह द्वितीय 1537 _ 1572
13•महाराणा प्रताप 1572 _ 1597
14•राणा अमर सिंह 1597 _ 1620
15•राणा करण सिंह 1620 _ 1628
16•जगत सिंह 1628 _1652
17• राणा राज सिंह 1652 _ 1682
18•राणा राज सिंह 1682 _ 1696
19•राणा अमर सिंह द्वितीय 1696 _1710
20• राणा संग्राम सिंह दितीय 1710 _ 1734
21• राणा जगत सिंह द्वितीय 1734 _1751
22•राणा प्रताप सिंह दितीय 1751 _1754
23• राणा राज सिंह दितीय 1754 _ 1762
24•राणा हरि सिंह वित्तीय 1762 _ 1772
25•राणा हमीर सिंह वित्तीय 1772 _ 1778
26• राणा भीम सिंह 1778 _ 1828
27•राणा जवान सिंह 1828 _ 1838
28•राणा सरदार सिंह 1838 _ 1842
29• राणा स्वरूप सिंह 1842 _ 1861
30• राणा शंभू सिंह 1861 _ 1874
31•राणा सज्जन सिंह 1874 _ 1884
32• फतेह सिंह 1884 _ 1930
33• भूपाल सिंह 1930 1947
Note• राणा भूपाल सिंह इस वंश का अंतिम शासक थे
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